Class - 8 | Science | Chapter - 1

प्रश्न - १: आग लगने पर उसे कई बार पानी डालकर बुझाते हैं। पानी डालने से आग कैसे बुझ जाती है?

जब एक मोमबत्ती की ज्वाला स्थिर होती है और हम उसके ऊपर काँच की प्लेट रखते हैं, तो प्लेट पर काले वलय का बनना दरअसल कालिख या कार्बन कणों के जमने के कारण होता है। यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

1. अधूरा दहन: मोमबत्ती की ज्वाला के भीतर का तापमान अपेक्षाकृत अधिक होता है, जिससे मोम का वाष्पीकरण होता है और वह जलने लगता है। लेकिन ज्वाला के चारों ओर ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे अधूरा दहन होता है। अधूरे दहन के कारण कार्बन के कण (कालिख) उत्पन्न होते हैं।

2. ठंडी सतह पर संघनन: जब हम काँच की प्लेट को ज्वाला के ऊपर रखते हैं, तो वह प्लेट अपेक्षाकृत ठंडी होती है। ज्वाला में मौजूद कार्बन कण और अन्य दहन उत्पाद प्लेट के ठंडे सतह के संपर्क में आते हैं और उस पर जम जाते हैं। इस जमाव के कारण काला वलय या कालिख का निशान बनता है।

3. केंद्र और परिधि का अंतर: ज्वाला के सबसे केंद्र में तापमान अधिक होता है और बाहरी हिस्सों में कम। जब काँच की प्लेट लगाई जाती है, तो ज्वाला के सबसे ऊपरी भाग में दहन पूरा होता है, जिससे वहां कम कालिख बनती है। जबकि ज्वाला के किनारों पर तापमान कम होता है और अधूरा दहन ज्यादा होता है, जिससे वहां ज्यादा कालिख बनती है। इस कारण काले वलय का निर्माण होता है।

यह प्रक्रिया हमें यह समझने में मदद करती है कि ज्वाला के दहन के दौरान कैसे विभिन्न उत्पाद उत्पन्न होते हैं और उनका प्रभाव कैसे पड़ता है।

प्रश्न - २: मोमबत्ती की ज्वाला जब स्थिर हो तो काँच का प्लेट ले जाने पर काला वलय क्यों बनता है?

जब एक मोमबत्ती की ज्वाला स्थिर होती है और हम उसके ऊपर काँच की प्लेट रखते हैं, तो प्लेट पर काले वलय का बनना दरअसल कालिख या कार्बन कणों के जमने के कारण होता है। यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

1. अधूरा दहन: मोमबत्ती की ज्वाला के भीतर का तापमान अपेक्षाकृत अधिक होता है, जिससे मोम का वाष्पीकरण होता है और वह जलने लगता है। लेकिन ज्वाला के चारों ओर ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे अधूरा दहन होता है। अधूरे दहन के कारण कार्बन के कण (कालिख) उत्पन्न होते हैं।

2. ठंडी सतह पर संघनन: जब हम काँच की प्लेट को ज्वाला के ऊपर रखते हैं, तो वह प्लेट अपेक्षाकृत ठंडी होती है। ज्वाला में मौजूद कार्बन कण और अन्य दहन उत्पाद प्लेट के ठंडे सतह के संपर्क में आते हैं और उस पर जम जाते हैं। इस जमाव के कारण काला वलय या कालिख का निशान बनता है।

3. केंद्र और परिधि का अंतर: ज्वाला के सबसे केंद्र में तापमान अधिक होता है और बाहरी हिस्सों में कम। जब काँच की प्लेट लगाई जाती है, तो ज्वाला के सबसे ऊपरी भाग में दहन पूरा होता है, जिससे वहां कम कालिख बनती है। जबकि ज्वाला के किनारों पर तापमान कम होता है और अधूरा दहन ज्यादा होता है, जिससे वहां ज्यादा कालिख बनती है। इस कारण काले वलय का निर्माण होता है।

यह प्रक्रिया हमें यह समझने में मदद करती है कि ज्वाला के दहन के दौरान कैसे विभिन्न उत्पाद उत्पन्न होते हैं और उनका प्रभाव कैसे पड़ता है।